अनजानी राहें
किस कदर बेख़ौफ़ होती हैं ये यादें
वक़्त-बेवक़्त चहलक़दमी करती हैं
दिल की दरों दिवार पर
डरतीं नहीं हैं,भटक जाती हैं
अक्सर अनजानी राहों मैं
एक बार निकलती हैं तो
फिर दूर तलक घूम आती हैं
बेख़ौफ़ होती हैं यादें
जो जागती आँखें सोच नहीं पातीं
ये वहाँ भी पहुँच जाती हैं
उन दहलीज़ों को भी छू लेती हैं
जहाँ क़दम नही ले जाते
माज़ी की वो गलियाँ
भूले जिनको बीती सदियाँ
बीती बातों को फिर
नए अहसास में पिरो जाती हैं
पुरानी उलझनों को
नए ढंग से सुलझा देती हैं
बहुत बेख़ौफ़ होती हैं ये यादें
शहला जावेद
Archit Savarni
30-Jun-2021 06:45 PM
Beautiful creation
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Ravi Goyal
30-Jun-2021 08:30 AM
Bahut khoob 👌👌
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Aliya khan
29-Jun-2021 10:53 PM
उम्दा
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